जहाँ मात-पिता को अपने पुत्र पे हो अभिमान, और पुत्री देवी समान । जहाँ मात-पिता को अपने पुत्र पे हो अभिमान, और पुत्री देवी समान ।
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो
यहाँ तक मैं भी खारी मिठास ! ये मिठास क्या होती है ? यहाँ तक मैं भी खारी मिठास ! ये मिठास क्या होती है ?
शर-शर करती भाग रही हूँ, शहर-गाँव मै लाँघ रही हूँ शर-शर करती भाग रही हूँ, शहर-गाँव मै लाँघ रही हूँ